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चन्द्रकान्ता महाविद्यालय

आज दिनांक 7.8.2024 को चंद्रकांता महाविद्यालय, पीरबियावानी सिकंदराबाद बुलंदशहर में प्राचार्य के निर्देशन में "काकोरी ट्रेन एक्शन शताब्दी समारोह" के अंतर्गत महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाई द्वारा महाविद्यालय परिसर में इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य ने स्वयंसेवक और स्वयं सेविकाओं को काकोरी ट्रेन एक्शन में शामिल क्रांतिकारियों के बलिदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी और देश सेवा के महत्व को समझाया। उन्होंने बताया कि क्रांतिकारियों के द्वारा चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन को सहयोग करने के लिए धन की ज़रुरत थी। शाहजहांपुर में एक बैठक में राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटने की योजना बनाई थी। इस योजना के अनुसार हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन के ही एक सदस्य राजेन्द्रनाथ लेहड़ी ने 1 अगस्त 1924 को लखनऊ के काकोरी रेलवे स्टेशन से चलने वाली आठ डाउन सहारनपुर ट्रेन को चेन खींचकर रोक लिया और उसे लूट लिया। इस गतिविधि में मुख्य भूमिका क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खान, चंद्रशेखर आजाद और अन्य 6 क्रांतिकारियों की थी। काकोरी-काण्ड में केवल 10 लोग ही वास्तविक रूप से शामिल हुए थे, पुलिस की ओर से उन सभी को इस प्रकरण में नामजद किया गया। इन 10 लोगों में से पाँच – चन्द्रशेखर आजाद, मुरारी शर्मा, केशव चक्रवर्ती (छद्मनाम), अशफाक उल्ला खाँ व शचीन्द्र नाथ बख्शी को छोड़कर, जो उस समय तक पुलिस के हाथ नहीं आये, शेष सभी व्यक्तियों पर सरकार बनाम राम प्रसाद बिस्मिल व अन्य के नाम से ऐतिहासिक प्रकरण चला और उन्हें 5 वर्ष की कैद से लेकर फाँसी तक की सजा हुई। फरार अभियुक्तों के अतिरिक्त जिन-जिन क्रान्तिकारियों को एच. आर. ए. का सक्रिय कार्यकर्ता होने के सन्देह में गिरफ्तार किया गया था उनमें से 14 को सबूत न मिलने के कारण रिहा कर दिया गया। विशेष न्यायधीश ऐनुद्दीन ने प्रत्येक क्रान्तिकारी की छवि खराब करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी और प्रकरण को सेशन न्यायालय में भेजने से पहले ही इस बात के पक्के सबूत व गवाह एकत्र कर लिये थे ताकि बाद में यदि अभियुक्तों की तरफ से कोई याचिका भी की जाये तो इनमें से एक भी बिना सजा के छूटने न पाये।
कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा किया गया। इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।