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*आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में महिला सशक्तिकरण पर संगोष्ठी का आयोजन ----
भारत में अनपढ़ो की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें। स्त्री को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है।इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आज दिनांक 28 जून को चंद्रकांता महाविद्यालय पीर बियाबानी सिकंदराबाद बुलंदशहर में महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बुलंदशहर आशा यादव थी उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है ताकि वे स्वयं निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवार या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने स्वयं के व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है।प्राचार्य ने समस्त आगंतुकों का आभार व्यक्त किया