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भारत की पहचान साहित्य,संगीत,कला,सौंदर्य और शिक्षा से रही है-डॉ अर्चना*
आज दिनांक 09.1.2020 को चंद्रकांता महाविद्यालय पिरबियावानी, बुलंदशहर द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया इस मौके पर मुख्य वक्ता एस आई एम टी के बी एड विभाग के डॉ अर्चना जी ने कहा कि यह सन् 1193 था जब बख्तियार ख़िलजी ने दुनिया के जाने-माने नालंदा स्थित संस्थान को आग के हवाले करके यह मान लिया था कि अब न सोच रहेगी न तालीमी इदारे।बामियान में बनीं बुद्ध की विशाल मूर्तियों को ध्वस्त करने वालों ने भी कुछ ऐसा ही सोचा था।भारत की लाखों मूर्तियों को क्षत-विक्षत करने वाले आक्रांताओं ने इसे अपने विजेता होने के प्रमाण के रूप में देखा था।
इतिहास ने सिद्ध कर दिया कि वे सभी आक्रांता न सिर्फ़ बर्बर और असंवेदनशील थे बल्कि हद दर्ज़े के जाहिल भी थे।कला,संस्कृति की साधना करने वाले लोग चेतना के उच्चतर स्तर पर जीते हैं।अच्छे संगीत की रचना करना,अच्छे साहित्य का सृजन करना,सजीव लगने वाली मूर्तियों का निर्माण करना एक संवेदनशील और चेतना के उच्च धरातल पर जीने वाले समाज की पहचान हैं।बर्बर,असभ्य और पशुचेतना में जीने वाला समाज ऐसे जाहिलों को ही पैदा करता है जो न कला का मूल्य समझते हैं न ही शिक्षा का ।आज भी भारत भर में इतस्तत: बिखरी,विद्रूप कर गई लाखों मूर्तियाँ आक्रांताओं की मूढ़ता और पुश्ता के दस्तावेज़ की तरह देखी जाती हैं।जिस समाज से वे आक्रांता आए थे वह समाज आज भी पिछड़ा हुआ है और अपनी ग़ुरबत व जहालत के लिए जाना जाता है।भारत कभी सोने की चिड़िया कहा जाता है तो आज सोने का बाज माना जाता है।भारत के शहर पहले से ज़्यादा ख़ूबसूरत और वैभवशाली हैं।
कला,संगीत,साहित्य और शिक्षा बर्बर और असभ्य लोगों को भयभीत करते हैं।इनसे उनके मन में असुरक्षा जन्म लेती है। डॉ वीरपाल जी ने कहा कि औरंगज़ेब की संगीत के प्रति घृणा उसकी आत्यंतिक असुरक्षा का द्योतक है।जो उसके कठमुल्लेपन को चिढ़ाती है।बर्बर,असभ्य और अशिक्षित शासकों का सबसे प्रिय सपना शिक्षा संस्थानों को ध्वस्त होते हुए देखना होता है।भारत की पहचानसाहित्य,संगीत,कला,सौंदर्य और शिक्षा से रही है।नालंदा इसका उदाहरण है।
प्राचार्य डॉ विप्लव ने कहा कि
इंसान महान पैदा नहीं होता है उसके विचार उसे महान बनाते हैं| विचार और काम की शुद्धता और सरलता ही महान लोगों को आम लोगों से अलग करती है| वह वही काम करते हैं ,जो दूसरे करते हैं लेकिन समाज में बदलाव लाना उनका मकसद होता है|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वर्णिम इतिहास में कुछ ऐसा ही योगदान महात्मा गांधी एवं भगत सिंह ने दिया था |उनके विचारों ने जहाँ स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी वहीं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक गौरवशाली इतिहास को जोड़ा |किसी ने सत्य ही कहा है कि ,"कोई कुरान में ढूंढता रहा जिंदगी, किसी ने जिंदगी कुरान कर दी |"
आए हुए अतिथियो को डॉ आशुतोष कुमार द्वारा संमानित किया गया,इस मौके पर डॉ प्रेम जी,मनोज जी,हरेंद्र जी,हारून कुमार,अशोक जी,उपस्थित थे,धन्यबाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ विप्लव ने किया