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चन्द्रकान्ता महाविद्यालय

चंद्रकांता महाविद्यालय में मनाया गया बसंतपंचमी का कार्यक्रम*
बसंतपंचमी,ऋतुपरिवर्तन पर्व के रूप में हज़ारों वर्षों से मनाई जाती है। बुद्धि, विद्या और कला की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के आवाहन का दिन।भारत में यह नये नये फूलों के खिलने का भी अवसर है।कालिदास आदि महाकवियों की रचनाओं में इस पर्व को अत्यंत महत्व दिया गया है।ऐसी धारणा है कि इस दिन मदमत्त सुन्दरियों के पदस्पर्श से फूल खिलने लगते हैं।यह समय मदनोत्सव का है।सर्जना मुखरित होने का सबसे अनुकूल समय भी यही माना जाता है।संभव है संत वैलेंटाइन ने हमारे इस मदनोत्सव से ही प्रेरणा ली हो।प्रेम मस्तु,मदनमस्तु,बसंतमस्तु।
ॐ श्री सरस्वतीं शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्
वह्निशुद्धां शुक्लाधानां वीणापुस्तकधारिणीम्
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:
वन्दे भक्तया वन्दिता मुनीन्द्रमनुमानवै: