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संस्कृति का मूल एक परिसीमन अनंत डॉ बृहस्पति मिश्र*
भारतीय संस्कृति के आधारतत्व शीर्षकगत विशिष्ट व्याख्यान आयोजन
चंद्रकांता महाविद्यालय, पीर बियावानी, बुलंदशहर (उo प्रo) में एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन दिनांक13 फरवरी 2021 दिन शनिवार को पूर्वाह्न11 बजे किया गया, जिसका मुख्य विषय- ' भारतीय संस्कृति के आधारतत्व' रहा।
व्याख्यान का आयोजन- संयोजन डॉo विप्लव ( प्राचार्य चंद्रकांता महाविद्यालय, पीर बियावानी, बुलंदशहर )द्वारा किया गया। आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में डॉo बृहस्पति मिश्र ( विभागाध्यक्ष,संस्कृत विभाग एवं अधिष्ठाता, भाषा संकाय, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय) विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री पार्थ (तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता) एवं अध्यक्ष के रूप में डॉo विशाल शर्मा ( वरिष्ठ पत्रकार, नवभारत टाइम्स) विराजमान रहें।
आयोजन का मुख्य उद्देश्य युवाओं में भारतीय संस्कृति के प्रति नवचेतना जागृत कर भारतीय संस्कृति के मूल भाव से उन्हें परिचित कराना था।
आयोजन में मुख्य अतिथि डॉo बृहस्पति मिश्र ने जन्म के पूर्व से लेकर मृत्यु के उपरांत तक भारतीय संस्कृति किस प्रकार से हमारा आधार बनी रहती है, इसका बोध कराया। भारतीय संस्कृति के आधारतत्व से परिचित कराते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति समस्त चराचर जगत को अपने मे समाहित किये हुए एक ऐसा वृत्त है जिसका केन्द्र तो एक है परंतु परिसीमा अनंत।
आयोजन के विशिष्ट अतिथि पार्थ ने भारतीय संस्कृति की महानता का वर्णन करते हुए बताया कि हमारी संस्कृति विश्व की प्राचीनतम और महानतम संस्कृतियों में से एक है।
इसकी तुलना कभी भी किसीसे नहीं कि जा सकती। हमारी संस्कृति विदेशी आक्रांताओं द्वारा हर बार खण्ड - खण्ड करने की कोशिश की गई परंतु यह इसकी महानता थी कि ये सभी को अपने अंदर समाहित करती चली गई
विदेशियों ने हमारी संस्कृति को संकुचित और कुंठित विशेषण देकर समाप्त करना चाहा परंतु यह आज भी अक्षुण्ण बनी हुई है।
आयोजन के अध्यक्ष डॉo विशाल शर्मा ने पार्थ के रूप में भारतीय युवा शक्ति का आवाहन भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण हेतु किया तथा यह स्पष्ट किया कि भारतीय संस्कृति का संवहन भारतीय युवाओं की विशेष जिम्मेदारी है।
आयोजन के समापन सत्र में संयोजक डॉo विप्लव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया और आयोजन को उपसंहारित किया।